कुँए का भूत
ये घटना सत्य घटना पर आधारित है जो यू पी के एटा जिले की एक गाओं की है जहा के लोग अपनी जिंदगी बहुत ही साधारण तरीके से बिताते है खेती करना मजदूरी करना बस यही सब इनके जिंदगी में शुमार है | लेकिन कभी कभी ये किसी पंछी या जानवर का शिकार भी करने में रूचि रखते थे जो अक्सर ये काम रात के समय में ही किया करते थे |
गाओं का इलाका हम जैसे शहरी इलाको जैसा नहीं होता वह काफी जंगल होता है और डरावना भी जिसमे तरह तरह के जीव जंतु के साथ भूत प्रेत के किस्से भी जाते थे | आज हम आपको ऐसे ही एक किस्से के बारे में बता ने जा रहे है जो की असल जिंदगी की कहानी है ये कहानी मेरे ही करीबी दोस्त अजित की है जिसके पिताजी जो की एक साधारण जिन्दगी जीने वाले है वो एटा जिले के वाले है और उन्ही के मुँह से मैंने के दिन ये घटना सुनी जो के में आप सबके साथ शेयर करने जा रहा हु |
दोस्तों गाँव में एक दिन रोज़ की तरह सब शिकार पर जाने का प्लान बना रहे थे आज वो एक नार्मल सा पक्षी कबूतर का शिकार करने का मन बना रहे थे | दिन में कबूतर काफी सक्रिय रहता है को वो कहा जाकर छुपता हिअ या आराम करता है ये इनको अछि तरह से पता था | गाओं में कबूतर पेड़ो में नहीं बल्कि सूखे कुए के अंदर जाकर विश्राम करते है लेकिन बस इन्हे ये ढूंढ़ना था की आखिर जंगल के भीतर वो कुआ है कहा रात में प्लान बनाकर बास 7 से 8 लोग एकसाथ निकल गए |
जंगल में ढूनते ढूनते काफी अंदर इन्हे एक कुआ मिला जिमे कबूतरो की आवाज़ भी आ रही थी सबने बारी बारी से निचे कुए में जाने का मन बने | पहले में जाता हु निचे कबूतर की आवाज़ ऑटो रही है लेकिन कबूतर का अच्छे से पता चलने पर में एक एक करके दुसरो को भी बुला लूंगा ऐसा वो पहला आदमी कहता है और निचे उतर जाता है | उसके निचे उतरने के थोड़ी देर बाद वो दूसरे आदमी से कहता है आजाओ निचे एक और की जरुरत है , ये सुनते ही दूसरा आदमी निचे उतर जाता है और फिर थोड़ी देर बाद पहले वाले आदमी की आवाज़ सुनाई देती है एक और आदमी की जरुरत है और ऐसा सुनते ही तीसरा आदमी उतर जाता है |
ऐसा करते करते सभी आदमी उतर जाते है और आखरी में सिर्फ एक आदमी बचता है पहले आदमी की फिर आवाज़ आती है और वो उस आखरी आदमी से कहता है की तू भी निचे आजा आखरी आदमी कहता है की अगर में भी निचे आगया तो जो कबूतर तुमने पकडे है उन्हें ऊपर कोण खीचेगा उन्हें कोण पकड़ेगा और थोड़ी देर शांति बानी रहती है और उस आखरी आदमी को थोड़ा सा शक होता है , वो दुबारा आवाज़ देता है की ऊपर कबूतरो को फेंको में उठा लूंगा और तभी कुए से कुछ भार आते हुए दीखता है उसे और वो उसके ठीक बगल में गिरता है | वो जब देखता है पलट के तो वो दर जाता है वो किसी का कटा हुआ हाथ होता है और ये देखते ही वो डर के मारे भागने लगता है |
जब भागते हुए पीछे पलट के देखता है एक हिरन उसके पीछे से तेज़ी से उसकी और दौड़ता हुआ आ रहा है और वो अचानक उस आदमी के ऊपर से छलांगे मरना शुरू करता कभी यहाँ से वह और कभी वह से यहाँ उस पहले के समय में गांव के लोग अपने साथ एक बड़ी सी लाठी रखते थे , जिसे वो आदमी अपने सर के ऊपर से जोर जोर से घुमा रहा था करीब डेढ़ दो किलोमिटर भागने के बाद वो हिरन रुक जाता है और उस आदमी की एक आवाज़ सुनाई देती है इस बार तो तू बच कर मेरी सिमा से बहार निकल गया अगली बार वापस आया नहीं बचेगा | इतनी आवाज़ सुनते ही वो हिरन गायब हो जाता है और वो आदमी डरा हुआ किसी तरह जान बचाकर अपने घर आहि गया और अगले दिन तक उसे डर से काफी तेज़ बूखार चढ़ा रहा | इस तरह वो आदमी अपने आप को बचा पाय |
दोस्तों अगर ऐसी ही घटना आपके साथ होती तो आप क्या करते इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते रहते है की जंगल में कभी मत जाना क्यूंकि वो जानते है की जंगल में क्या क्या मुसीबत हो सकती है |
ये घटना सत्य घटना पर आधारित है जो यू पी के एटा जिले की एक गाओं की है जहा के लोग अपनी जिंदगी बहुत ही साधारण तरीके से बिताते है खेती करना मजदूरी करना बस यही सब इनके जिंदगी में शुमार है | लेकिन कभी कभी ये किसी पंछी या जानवर का शिकार भी करने में रूचि रखते थे जो अक्सर ये काम रात के समय में ही किया करते थे |
गाओं का इलाका हम जैसे शहरी इलाको जैसा नहीं होता वह काफी जंगल होता है और डरावना भी जिसमे तरह तरह के जीव जंतु के साथ भूत प्रेत के किस्से भी जाते थे | आज हम आपको ऐसे ही एक किस्से के बारे में बता ने जा रहे है जो की असल जिंदगी की कहानी है ये कहानी मेरे ही करीबी दोस्त अजित की है जिसके पिताजी जो की एक साधारण जिन्दगी जीने वाले है वो एटा जिले के वाले है और उन्ही के मुँह से मैंने के दिन ये घटना सुनी जो के में आप सबके साथ शेयर करने जा रहा हु |
दोस्तों गाँव में एक दिन रोज़ की तरह सब शिकार पर जाने का प्लान बना रहे थे आज वो एक नार्मल सा पक्षी कबूतर का शिकार करने का मन बना रहे थे | दिन में कबूतर काफी सक्रिय रहता है को वो कहा जाकर छुपता हिअ या आराम करता है ये इनको अछि तरह से पता था | गाओं में कबूतर पेड़ो में नहीं बल्कि सूखे कुए के अंदर जाकर विश्राम करते है लेकिन बस इन्हे ये ढूंढ़ना था की आखिर जंगल के भीतर वो कुआ है कहा रात में प्लान बनाकर बास 7 से 8 लोग एकसाथ निकल गए |
जंगल में ढूनते ढूनते काफी अंदर इन्हे एक कुआ मिला जिमे कबूतरो की आवाज़ भी आ रही थी सबने बारी बारी से निचे कुए में जाने का मन बने | पहले में जाता हु निचे कबूतर की आवाज़ ऑटो रही है लेकिन कबूतर का अच्छे से पता चलने पर में एक एक करके दुसरो को भी बुला लूंगा ऐसा वो पहला आदमी कहता है और निचे उतर जाता है | उसके निचे उतरने के थोड़ी देर बाद वो दूसरे आदमी से कहता है आजाओ निचे एक और की जरुरत है , ये सुनते ही दूसरा आदमी निचे उतर जाता है और फिर थोड़ी देर बाद पहले वाले आदमी की आवाज़ सुनाई देती है एक और आदमी की जरुरत है और ऐसा सुनते ही तीसरा आदमी उतर जाता है |
ऐसा करते करते सभी आदमी उतर जाते है और आखरी में सिर्फ एक आदमी बचता है पहले आदमी की फिर आवाज़ आती है और वो उस आखरी आदमी से कहता है की तू भी निचे आजा आखरी आदमी कहता है की अगर में भी निचे आगया तो जो कबूतर तुमने पकडे है उन्हें ऊपर कोण खीचेगा उन्हें कोण पकड़ेगा और थोड़ी देर शांति बानी रहती है और उस आखरी आदमी को थोड़ा सा शक होता है , वो दुबारा आवाज़ देता है की ऊपर कबूतरो को फेंको में उठा लूंगा और तभी कुए से कुछ भार आते हुए दीखता है उसे और वो उसके ठीक बगल में गिरता है | वो जब देखता है पलट के तो वो दर जाता है वो किसी का कटा हुआ हाथ होता है और ये देखते ही वो डर के मारे भागने लगता है |
जब भागते हुए पीछे पलट के देखता है एक हिरन उसके पीछे से तेज़ी से उसकी और दौड़ता हुआ आ रहा है और वो अचानक उस आदमी के ऊपर से छलांगे मरना शुरू करता कभी यहाँ से वह और कभी वह से यहाँ उस पहले के समय में गांव के लोग अपने साथ एक बड़ी सी लाठी रखते थे , जिसे वो आदमी अपने सर के ऊपर से जोर जोर से घुमा रहा था करीब डेढ़ दो किलोमिटर भागने के बाद वो हिरन रुक जाता है और उस आदमी की एक आवाज़ सुनाई देती है इस बार तो तू बच कर मेरी सिमा से बहार निकल गया अगली बार वापस आया नहीं बचेगा | इतनी आवाज़ सुनते ही वो हिरन गायब हो जाता है और वो आदमी डरा हुआ किसी तरह जान बचाकर अपने घर आहि गया और अगले दिन तक उसे डर से काफी तेज़ बूखार चढ़ा रहा | इस तरह वो आदमी अपने आप को बचा पाय |
दोस्तों अगर ऐसी ही घटना आपके साथ होती तो आप क्या करते इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते रहते है की जंगल में कभी मत जाना क्यूंकि वो जानते है की जंगल में क्या क्या मुसीबत हो सकती है |
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